Sunday, September 26, 2010

meri jaroorat

क्यूँ जी रहा हु मैं
आखिर काम क्या है मेरा दुनिया में
अगर मैं ना रहा तो क्या रुक जायेगा इस दुनिया में
क्या जरूरत है इस दुनिया को मेरी
हर दिन २४ घंटो को खर्च कर रहा हूँ
जाने कि घडी निकट आती जा रही है
मेरे काम बढते जा रहे है
लेकिन उन कामो का कोई मतलब नहीं है
बचपन में पढता था कुछ सीखता था
अब तो मैं ज्ञानी हू सिर्फ ज्ञान देता हू
जानता कुछ भी नहीं हूँ
पर सिखाता सब को हूँ
इश्वर अगर तुम कही हो तो मुझे
कुछ काम सिखा दो
ऐसे काम जो इस संसार कि जरूरत के हो

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