क्यूँ जी रहा हु मैं
आखिर काम क्या है मेरा दुनिया में
अगर मैं ना रहा तो क्या रुक जायेगा इस दुनिया में
क्या जरूरत है इस दुनिया को मेरी
हर दिन २४ घंटो को खर्च कर रहा हूँ
जाने कि घडी निकट आती जा रही है
मेरे काम बढते जा रहे है
लेकिन उन कामो का कोई मतलब नहीं है
बचपन में पढता था कुछ सीखता था
अब तो मैं ज्ञानी हू सिर्फ ज्ञान देता हू
जानता कुछ भी नहीं हूँ
पर सिखाता सब को हूँ
इश्वर अगर तुम कही हो तो मुझे
कुछ काम सिखा दो
ऐसे काम जो इस संसार कि जरूरत के हो
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