Wednesday, September 29, 2010

सब कुछ अच्छा होगा

आज फिर दिन भर अटकलों का दौर जरी रहा . कौफी हाउस से लेकर तहसील ऑफिस के गलियारों तक सब अपनी अपनी दलील दे रहे है की जज किसकी तरफ फैसला करेंगे . एक सबसे अलग बात सुनाई दी की शायद ये हो सकता है की तीन जजों की बेंच के दो हिन्दू जज मुसलमानों के तरफ फैसला दे और मुस्लिम जज हिन्दुओ की तरफ अपनी राय दे. कही ऐसा न हो जाये की मुस्लिमो के पक्छ में २-१ से निर्णय आ जाये. अब अटकलों का ही दौर है . वाकई ऐसा लगता है की सबसे बड़ा फैसला आना है . यह भी अपनी अपनी किस्मत  होती है कि किसको क्या काम  मिलता है .  एक ही चट्टान का एक टुकड़ा मूर्ति के रूप में भगवान बनता है दूसरा मंदिर कि सीढ़ी में लगता है जिसमे सब पैर रखते है . यही जजों के साथ होता है . अधिकांश जज जेबकतरों को सजा देने में ही जीवन बिता देते है . जबकि इन तीन जजों कि किस्मत में राम लला के जन्मस्थान का निर्धारण नियत है . आज कि रात तीनो शायद सो नहीं पाएंगे . कल उनके निर्णय के बाद कही हजारो फौजदारी मुक़दमे देश  भर में दर्ज न हो जाये ये चिंता उन्हें जरूर होगी . बहुत से लोगो का ये भी मानना है कि शायद फैसला ये हो कि दोनों को वंचित करते हुए सरकार को जमीन दे दी जाये. लेकिन जो भी हो कल सब कुछ अंतिम नहीं होगा . भारत कि न्याय प्रणाली में सच्चाई कि जीत होती जरूर है पर अगर कोई फैसले को अंतिम न होने देना चाहे तो उसके पास कई रास्ते मौजूद है . लेकिन एक बात है कि मुझे कही आम जनता से  कोई भी ऐसा उद्ग़ार सुनने को नहीं मिला कि फैसला यह होना चाहिए . हर कोई ये बता रहा है कि ये फैसला आ सकता है पर कोई यह नहीं कह रहा है कि यही फैसला आना चाहिए . या ये नहीं कह रहा है कि यह फैसला नहीं आने पर वह यह काम करेगा . सबको पता है कि भारत को लोक तंत्र बहुत मजबूत है . फिर १९८४ और १९९२ कि चोट लोग भूले नहीं है . पिछले २ वर्षो से गुजरात दंगो में चल रही कार्यवाहियों ने भी सबको काफी कुछ सिखाया है . सरकारी कर्मचारी तो किसी पक्छ में जाने कि बात शायद सोच भी नहीं सकते . कुल मिलकर मुझे तो यही लगता है कि all is well ही रहना है . मेरी तो यही दुआ है  आह्वान है सभी से कि संयम बनाये रखे . इस दिशा में सोचे कि वहा अकबरी राम स्कूल बनवाना है .

Sunday, September 26, 2010

naam

इस ब्लॉग को मैंने आज ही शुरू किया है . बहुत सोचने के बाद ( उतना ज्यादा भी नहीं ) मैंने नाम जब हम न होंगे रखा . अब सोचता हूँ की यही नाम क्यों . एक बार नाम बदल भी दिया मैंने , पर फिर वही कर दिया . अब लगता है की नहीं यही नाम सही रहेगा . एक दिन तो सबको जाना है लेकिन दुनिया के लिए कुछ छोड़ जाना चाहिए . सचिन के रन दुनिया में बने रहेंगे , लता की आवाज बनी रहेगी. लेकिन हमारा क्या होगा . किताब लिखने की  बचपन से सोचता आया हूँ लेकिन कभी इतना लिख पाउँगा ये संभव नहीं लगता . लेकिन ये अच्छा है तुरंत लिखो तुरंत सबके पढने के लिए उतार दो . मेरे बाद भी शायद ये सबके लिए दुनिया में बना रहेगा . इसी लिए इसका नाम मैंने जब हम न होंगे रखा है . अगर हमारे जाने के बाद भी किसी की नजर पड़ी तो कोई तो याद करेगा

pata nahi

क्यों लोग जन्म लेते है,  पता नहीं
क्यों लोग जीवन जीते है, पता नहीं
क्यों लोग पढाई करते है, पता नहीं
क्यों लोग खेलते है, पता नहीं
क्यों लोग  लड़ाई करते है, पता नहीं
क्यों लोग खाना खाते है, पता नहीं
क्यों लोग पूजा करते है,  पता नहीं
क्यों लोग बैर करते है, पता नहीं
क्यों लोग प्यार करते है, पता नहीं
क्यों लोग ईर्ष्या करते है, पता नहीं
क्यों लोग घमंड करते है, पता नहीं
क्यों लोग रोते है, पता नहीं
क्यों लोग हँसते है, पता नहीं
मुझे तो कुछ पता नहीं
किसी को भी शायद कुछ पता नहीं
ये अलग बात है की सब मानते है की उन्हें सब पता है
ॐ परम प्रभु दयालुता एवं कृपा के ईश्वर
ॐ परम प्रभु प्रेम एवं करुणा के ईश्वर
ॐ परम प्रभु इन कोशिकाओ को अधिकार में ले लो
ॐ परम प्रभु इस मस्तिष्क को अधिकार में ले लो
ॐ परम प्रभु इन  स्नायुओ  को अधिकार में ले लो
ॐ परम प्रभु इस विचार  को अधिकार में ले लो
ॐ परम प्रभु इस वाणी   को अधिकार में ले लो
ॐ परम प्रभु इस कर्म   को अधिकार में ले लो
ॐ परम प्रभु इस शरीर को अधिकार में ले लो
ॐ परम प्रभु इस ह्रदय   को अधिकार में ले लो
ॐ परम प्रभु इस पदार्थ  को अधिकार में ले लो
ॐ परम प्रभु इस अवचेतन को अधिकार में ले लो
ॐ परम प्रभु इस अचेतन  को अधिकार में ले लो
( श्री माँ का अजेंडा किताब से साभार ) पता नहीं इसे यहाँ देना था या नहीं . लेकिन पढने के बाद पता नहीं क्यूँ लगा की सबको इसे पढना चाहिए तो मैंने इसे यहाँ पोस्ट कर दिया .

nam ayodhya par yudhhsthal

अयोध्या हमें बीच बीच में डराता है .
 राम की नगरी है या हमारे लिए कोई खौफ है .
सिर्फ खौफ ही होता तो  बेहतर होता .
इसने तो हजारो मांगे सूनी  की है .
लंका में जितने लोग नहीं मरे होंगे
उस  से ज्यादा राम के नाम के कारण मर चुके है .
बाबर भी शायद उतने लोगो को नहीं पर पाया हो.
जितनो को बाबरी ने मर दिया है.
शायद अब बाकि और बाबर दोनों न चाहते हो
कि अब भी इंसान बर्बर बना रहे .
आखिर ५०० साल बीत चुके है
 इतने साल बाद भी क्या पशुता में कोई कमी नहीं नहीं आई है .
राम ने भी तो अपना धनुष रख दिया था .
अब भी क्यों मार रहे हो लोगो को उनके नाम पर .
राम पर सिर्फ एक ही दाग था सीता कि परीक्षा का
लेकिन ये दाग तो उससे भी गहरा है .
जिसकी जन्मभूमि को जज तय करे
जिस जन्मभूमि को जज तय करे .
वो तय न हो तो बेहतर है
मान ले हम कि राम ने भारत में जन्म लिया था
भारत में उसका मंदिर बना दे
राम कि मूल आत्मा को मान ले
सिर्फ एक मंदिर नहीं राम राज बना दे

meri jaroorat

क्यूँ जी रहा हु मैं
आखिर काम क्या है मेरा दुनिया में
अगर मैं ना रहा तो क्या रुक जायेगा इस दुनिया में
क्या जरूरत है इस दुनिया को मेरी
हर दिन २४ घंटो को खर्च कर रहा हूँ
जाने कि घडी निकट आती जा रही है
मेरे काम बढते जा रहे है
लेकिन उन कामो का कोई मतलब नहीं है
बचपन में पढता था कुछ सीखता था
अब तो मैं ज्ञानी हू सिर्फ ज्ञान देता हू
जानता कुछ भी नहीं हूँ
पर सिखाता सब को हूँ
इश्वर अगर तुम कही हो तो मुझे
कुछ काम सिखा दो
ऐसे काम जो इस संसार कि जरूरत के हो

meri pahli kavita

 बाबर और राम , और कितने मरेंगे तेरे नाम
फिर तमाशा शुरू हो चूका है .
फिर लोग मरने कि सोच रहे है .
हाँ ये सच है .
हर हिन्दू दंगाई नहीं होता
हर मुस्लिम हत्यारा नहीं होता .
लेकिन अधिकतर आम आदमी होता है
जो मरने कि सोचता है .
कुछ ही मारने कि सोचते है .
जो अफ़सोस है कि दंगो में खुद नहीं मरते है
मरता तो आम आदमी है .
जो मरते वक्त  हिन्दू या मुस्लिम नहीं होता .
मंदिर के ठेकेदारों इस देश को बचा लो .
ये देश मंदिरों का देश है .
इस देश में करोडो मंदिर है .
आओ नया मंदिर बनाये
एक ऐसा मंदिर जिसे दुनिया देखे
एक ऐसा मंदिर जो ताजमहल से भी सुन्दर हो
जो पूरे विश्व में सबसे बड़ा हो
जो पूरे विश्व में सबसे ऊँचा हो.
बोल के तो  देखो मुसलमानों को
करोडो रूपये दे देंगे जकात के .
सिर्फ जगह बदल लो
राम के पथ में हजारो स्थल है
कही भी जगह चुन लो
और आप मस्जिद के ठेकेदारों
देश में अकबरी मस्जिद बना लो .
अकबर ने जो बनाया उसे अपना लो .
हिन्दुओ को भाई बना लो .
४ साल कि शहंशाही थी बाबर कि
आज भी लोगो को मार रहा है
अकबर को याद करो
हिन्दुओ को प्यार करो.
जहाँ मस्जिद बनाना चाहते हो वह स्कूल बनाते है .
स्कूल का नाम रखना अकबरी राम स्कूल
वहां  इंसान पैदा होंगे
जो आदमी को मारना पसंद नहीं करेंगे