अयोध्या हमें बीच बीच में डराता है .
राम की नगरी है या हमारे लिए कोई खौफ है .
सिर्फ खौफ ही होता तो बेहतर होता .
इसने तो हजारो मांगे सूनी की है .
लंका में जितने लोग नहीं मरे होंगे
उस से ज्यादा राम के नाम के कारण मर चुके है .
बाबर भी शायद उतने लोगो को नहीं पर पाया हो.
जितनो को बाबरी ने मर दिया है.
शायद अब बाकि और बाबर दोनों न चाहते हो
कि अब भी इंसान बर्बर बना रहे .
आखिर ५०० साल बीत चुके है
इतने साल बाद भी क्या पशुता में कोई कमी नहीं नहीं आई है .
राम ने भी तो अपना धनुष रख दिया था .
अब भी क्यों मार रहे हो लोगो को उनके नाम पर .
राम पर सिर्फ एक ही दाग था सीता कि परीक्षा का
लेकिन ये दाग तो उससे भी गहरा है .
जिसकी जन्मभूमि को जज तय करे
जिस जन्मभूमि को जज तय करे .
वो तय न हो तो बेहतर है
मान ले हम कि राम ने भारत में जन्म लिया था
भारत में उसका मंदिर बना दे
राम कि मूल आत्मा को मान ले
सिर्फ एक मंदिर नहीं राम राज बना दे
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