Sunday, September 26, 2010

naam

इस ब्लॉग को मैंने आज ही शुरू किया है . बहुत सोचने के बाद ( उतना ज्यादा भी नहीं ) मैंने नाम जब हम न होंगे रखा . अब सोचता हूँ की यही नाम क्यों . एक बार नाम बदल भी दिया मैंने , पर फिर वही कर दिया . अब लगता है की नहीं यही नाम सही रहेगा . एक दिन तो सबको जाना है लेकिन दुनिया के लिए कुछ छोड़ जाना चाहिए . सचिन के रन दुनिया में बने रहेंगे , लता की आवाज बनी रहेगी. लेकिन हमारा क्या होगा . किताब लिखने की  बचपन से सोचता आया हूँ लेकिन कभी इतना लिख पाउँगा ये संभव नहीं लगता . लेकिन ये अच्छा है तुरंत लिखो तुरंत सबके पढने के लिए उतार दो . मेरे बाद भी शायद ये सबके लिए दुनिया में बना रहेगा . इसी लिए इसका नाम मैंने जब हम न होंगे रखा है . अगर हमारे जाने के बाद भी किसी की नजर पड़ी तो कोई तो याद करेगा

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