बहुत है राहें किस राह में चलना है
अंत सब का एक है सिर्फ अपने को छलना है
प्यार करना सीख ले सब यही जीवन का सार है
लड़ के जिसने ने भी देखा कुछ ना जग से पाया
प्यार से जिसने जिया सारे जग ने उसको चाहा
इस पथ के पथिक सब है सब को वही जाना है
बीच में राह अलग हो जाये पर अंत वही मिलना है
मेरा क्या है तेरा क्या है ये झगडा ही बेमानी है
अंत सब को ख़ाली हाथ ही जाना है
रह जायेंगे दो बोल ही सबके बाकि किसको याद रहना है
अंत सब का एक है सिर्फ अपने को छलना है
प्यार करना सीख ले सब यही जीवन का सार है
लड़ के जिसने ने भी देखा कुछ ना जग से पाया
प्यार से जिसने जिया सारे जग ने उसको चाहा
इस पथ के पथिक सब है सब को वही जाना है
बीच में राह अलग हो जाये पर अंत वही मिलना है
मेरा क्या है तेरा क्या है ये झगडा ही बेमानी है
अंत सब को ख़ाली हाथ ही जाना है
रह जायेंगे दो बोल ही सबके बाकि किसको याद रहना है
बहुत है राहें किस राह में चलना है
ReplyDeleteअंत सब का एक है सिर्फ अपने को छलना है
प्यार करना सीख ले सब यही जीवन का सार है
लड़ के जिसने ने भी देखा कुछ ना जग से पाया....
मनोभावों को खूबसूरती से पिरोया है। बधाई।
आपको रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें !
holi ki hardik shubhkamnayen.
ReplyDelete