Wednesday, December 15, 2010

ख्याल भी तो वक्त के साथ बदलते है 
हम भी अपने को बदल रहे है
पर अब भी लगता है पहले की तरह
क्या हम ज़माने को बदल सकते है
मैं अपनी आवाज उठा सकता हूँ 
लोग मेरे साथ चले न चले
परवा मुझे नहीं ज़माने की
जमाना अपनी राह चले तो चले
कुछ ने चली अपनी राह हमेशा
कुछ तो है हमेशा जो चले सच के साथ
अब कुछ नए नजरिये हमें बनाने है
नया दौर है नया खून है
नया वक्त हमारा है
ये देश अंगड़ाई ले रहा है
अब हमें भी लोगो को जगाना है

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