Wednesday, November 3, 2010

त्यौहार

अब नई नई बाते सुनता हु मैं
पिछली होली में सुना था कि अब से रंग नहीं खेलना है
अब अबीर होली खेलेंगे
जो बूढ़े अब पानी से नहा नहीं सकते
वो देश को सिखा रहे है कि रंग नहीं खेलना है
तर्क उनका है कि पानी बर्बाद ना करो
अपनी नामर्दी के साये में वे बच्चो से उनकी होली छीन रहे है
जो अपने गमले को सींचने के लिए रोज पानी बर्बाद करते है
वो बच्चो कि एक दिन कि होली को बंद करना चाहते है
अब एक नया नारा है
इको फ्रेंडली दिवाली मनाना है
फटाके नहीं फोड़ने है 
देश में पॉवर प्लांट चलने वाले बच्चो को बता रहे है
कि फटाके से प्रदूषण होता है
राज्योत्सव में दस मिनट में एक हजार किलो बारूद जलाने वाले
कहते है फटाके ना जलाओ
हाँ ये अभियान है एक हमारे संस्कारो को बदलने का
जम के फोड़ो फटाके , जम के खेलो रंग
हमारे है त्यौहार
मनाएंगे हम इन्हें अपने ही ढंग
बूढ़े जो मरने के करीब है , अपनी मौत का इंतज़ार करे
या आये हमारे साथ जवान होने
खेले रंग जम के और छुपा ले अपनी झुर्रियो को
कुछ दिनों के लिए
या कही और जाये अपने कैम्पेन को चलाने के लिए
और भी त्यौहार है दुनिया में
और भी रिवाज है दुनिया में
बदलने के लिए

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